Friday, February 18, 2011

एक सहेली का अपनी सहेली की मदद की कोशिश को क्या समलैंगिक संबंध मान लिया जाए| ऐसा ही कुछ देखने को मिला है विजयश्री उर्फ खुश्बू जयसवाल एवं नेहा सिंघानिया के प्रकरण मे, गौरतलब है की नेहा सिंघानिया तथा खुश्बू जयसवाल आज से तकरीबन ८-९ साल पहले गुरुनानक वॉर्ड ,गोंदिया मे पड़ोसी थे| नेहा के पिता मि. सिंघानिया अब समता कालोनी,रायपुर मे रहते है| नेहा शुरू से पढ़ाई मे अव्वल तथा बोल्ड लड़की रही है| माता पिता की पहली संतान होने तथा बोल्ड प्रवृति के कारण उसे घर मे बेटे जैसा सम्मान मिला |समाज सेवा एवं सामाजिक बुराईओ से लड़ने की अदभुत क्षमता है उस मे, शायद इसी लिए आज के परिवेश मे जहा मानवीय मूल्‍यो की कोई अस्तित्व नही है वही वो अपनी सहेली की मदद को इस कदर समर्पित है की उनके रिश्तो पर सवालिया निशान लगाया जा रहा है| लेकिन यहा एक सवाल पैदा होता है की क्या यह सही नही है की नेहा की जगह कोई लड़का होता तो इस रिश्ते को अवैध संबंध का नाम दिया जाता ? क्या एक २३ साल की पीड़ित लड़की (खुश्बू जयसवाल) को हमारे संविधान एवं समाज ने इतने अधिकार भी नही दिए है की वो अपनी सहेली की मदद ले सके ? जहा एक तरफ़ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते है वही दूसरी तरफ एक वालीग लड़की को ज़बरदस्ती मा बाप के साथ रहने को मजबूर करते है| मेरे सगे चाचा तथा जीजा अश्लील हरकत करते है, मेरे पापा का संबंध अंजू नाम की महिला से है मैं इस परिवेश मे नही रह सकती , मेरी मर्ज़ी के खिलाफ मेरे परिवार वेल मेरी शादी करना चाहते है, मैं अभी शादी नही बल्कि I.A.S की तैयारी करना चाहती हू| नेहा मेरी बचपन की सहेली है मुझे अपने घर वालो से ज़्यादा नेहा पर विश्वास है | ऐसा ही कहना है उस लड़की का तो क्या इसे समलैंगिक संबंध करार देना चाहिए | क्या ऐसा नही होता की एक बाप अपनी बेटी को पैसे से बेच देता है, क्या ऐसा भी कभी नही हुया है की चाचा ने , जीजा ने ज़बरदस्ती की हो| ऐसी घटनाए हुई है तो फिर हम उस लड़की का यकीन क्यू नही करना चाहते | क्यो हम सहेली से उसकी मदद लेने को समलैंगिकता का नाम देने पर तुले है| ऐसे प्रकरण मे अक्सर अख़बारो को मसालेदार ख़बरे मिलती है वो खूब लिखते है और इतना लिखते की सब लिख डालते है बजाए सच के| एक खत जो खुश्बू ने नेहा की जगह किसी पुलिस अधिकारी को लिखती या फिर किसी पत्रकार को या किसी सोशल वर्कर को तो क्या वो मदद को आगे नही आते ? To नेहा सिंघानिया ( यहा मेरा आपका किसी का नाम हो सकता था अगर उसे विस्वास होता) मै खुशबु जायसवाल अगर मेरे माता पिता के जबरदस्ती लेकर गये तो नेहा प्लीज़ मुझे बचा लेना मै बालिक हु मैने रायपुर मे अपना स्टेट्मेंट दे दिया है और गोन्दिया देने लाया जा रहा है रायपुर महिला पुलिस के साथ फ़िर भी अगर मुझे न्याय नही मिलेगा तो मै अपनी फ्रेंड नेहा सिन्घानिया से रिक्वेस्ट करती हु की मेरे घरवालो से बचा लेना और मुझे न्याय दिलवा देना मै अपने पैर पर खुद खरे होना चाहती हु और खुद अपनी मेहनत के पैसे सेईयेज़ कि पदाइ करना चाहती हु और अपने घरवालो से कोइ वास्ता नही रखना चाह्ती हु प्ल्समेरी मदद करो मेरे घरवाले जबरदस्ती मेरी शादी करवा देन्गे, मेरी जान खतरे मे है मुझे बचाओ सिग्नेचर इन इंग्लीश डेटेड 17/01/11 06 पीयेम ये खत एक मजबुर लड्की ने अपनी सहेली को लिखा है और अपनी उस सहेली से मदद की उम्मीद मे गोन्दिया से रायपुर आयी थी। क्या उस लड़की की मदद नेहा को नही करनी चाहिए और मदद करे तो समलैंगिक संबंध का आरोप लगाना चाहिए ? यह खत साबित करता है - की


ऐसा ही कुछ देखने को मिला है विजयश्री उर्फ खुश्बू जयसवाल एवं नेहा सिंघानिया के प्रकरण मे, गौरतलब है की नेहा सिंघानिया तथा खुश्बू जयसवाल आज से तकरीबन ८-९ साल पहले गुरुनानक वॉर्ड ,गोंदिया मे पड़ोसी थे| नेहा के पिता मि. सिंघानिया अब समता कालोनी,रायपुर मे रहते है| नेहा शुरू से पढ़ाई मे अव्वल तथा बोल्ड लड़की रही है| माता पिता की पहली संतान होने तथा बोल्ड प्रवृति के कारण उसे घर मे बेटे जैसा सम्मान मिला |समाज सेवा एवं सामाजिक बुराईओ से लड़ने की अदभुत क्षमता है उस मे, शायद इसी लिए आज के परिवेश मे जहा मानवीय मूल्‍यो की कोई अस्तित्व नही है वही वो अपनी सहेली की मदद को इस कदर समर्पित है की उनके रिश्तो पर सवालिया निशान लगाया जा रहा है| लेकिन यहा एक सवाल पैदा होता है की क्या यह सही नही है की नेहा की जगह कोई लड़का होता तो इस रिश्ते को अवैध संबंध का नाम दिया जाता ? क्या एक २३ साल की पीड़ित लड़की (खुश्बू जयसवाल) को हमारे संविधान एवं समाज ने इतने अधिकार भी नही दिए है की वो अपनी सहेली की मदद ले सके ? जहा एक तरफ़ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते है वही दूसरी तरफ एक वालीग लड़की को ज़बरदस्ती मा बाप के साथ रहने को मजबूर करते है| मेरे सगे चाचा तथा जीजा अश्लील हरकत करते है, मेरे पापा का संबंध अंजू नाम की महिला से है मैं इस परिवेश मे नही रह सकती , मेरी मर्ज़ी के खिलाफ मेरे परिवार वेल मेरी शादी करना चाहते है, मैं अभी शादी नही बल्कि I.A.S की तैयारी करना चाहती हू| नेहा मेरी बचपन की सहेली है मुझे अपने घर वालो से ज़्यादा नेहा पर विश्वास है | ऐसा ही कहना है उस लड़की का तो क्या इसे समलैंगिक संबंध करार देना चाहिए | क्या ऐसा नही होता की एक बाप अपनी बेटी को पैसे से बेच देता है, क्या ऐसा भी कभी नही हुया है की चाचा ने , जीजा ने ज़बरदस्ती की हो| ऐसी घटनाए हुई है तो फिर हम उस लड़की का यकीन क्यू नही करना चाहते | क्यो हम सहेली से उसकी मदद लेने को समलैंगिकता का नाम देने पर तुले है| ऐसे प्रकरण मे अक्सर अख़बारो को मसालेदार ख़बरे मिलती है वो खूब लिखते है और इतना लिखते की सब लिख डालते है बजाए सच के| एक खत जो खुश्बू ने नेहा की जगह किसी पुलिस अधिकारी को लिखती या फिर किसी पत्रकार को या किसी सोशल वर्कर को तो क्या वो मदद को आगे नही आते ? To नेहा सिंघानिया ( यहा मेरा आपका किसी का नाम हो सकता था अगर उसे विस्वास होता) मै खुशबु जायसवाल अगर मेरे माता पिता के जबरदस्ती लेकर गये तो नेहा प्लीज़ मुझे बचा लेना मै बालिक हु मैने रायपुर मे अपना स्टेट्मेंट दे दिया है और गोन्दिया देने लाया जा रहा है रायपुर महिला पुलिस के साथ फ़िर भी अगर मुझे न्याय नही मिलेगा तो मै अपनी फ्रेंड नेहा सिन्घानिया से रिक्वेस्ट करती हु की मेरे घरवालो से बचा लेना और मुझे न्याय दिलवा देना मै अपने पैर पर खुद खरे होना चाहती हु और खुद अपनी मेहनत के पैसे सेईयेज़ कि पदाइ करना चाहती हु और अपने घरवालो से कोइ वास्ता नही रखना चाह्ती हु प्ल्समेरी मदद करो मेरे घरवाले जबरदस्ती मेरी शादी करवा देन्गे, मेरी जान खतरे मे है मुझे बचाओ सिग्नेचर इन इंग्लीश डेटेड 17/01/11 06 पीयेम ये खत एक मजबुर लड्की ने अपनी सहेली को लिखा है और अपनी उस सहेली से मदद की उम्मीद मे गोन्दिया से रायपुर आयी थी। क्या उस लड़की की मदद नेहा को नही करनी चाहिए और मदद करे तो समलैंगिक संबंध का आरोप लगाना चाहिए ? यह खत साबित करता है - की खुश्बू को नेहा से मदद की आशा है| - खुश्बू का जीवन ख़तरे मे है| - खुश्बू को ज़बरदस्ती उसके परिवार मे क़ैद रहना पर रहा है? - खुश्बू आगे पढ़ना एवं आत्म निर्भर होना चाहती है| - खुश्बू के स्वतंत्रता के अधिकारो का हनन हो रहा है| - उसे न्याय की ज़रूरत है| हम प्रशासन से आशा करते है की इस खत को गंभीरता से लेते हुए - खुश्बू को अपनी बात बताने का अवसर दे | - खत के आधार पर करवाई करते हुए खुश्बू को रायपुर ला न्यायिक ब्यान दर्ज करे| - जाचोपरांत इस निसकर्स पर पहुचे की वास्तविकता क्या है | - नेहा की जान को भी खतरा है , इस संबंध मे भी ठोस . . |